“लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी”
जिंदगी नज़रे सियासत हो खुदा या मेरी
जेब भर जाए मेरी, जनता की ख़ाली हो जाए
हर कोई मेरी इनायत का सवाली हो जाए
हो मेरे दम से यूं ही मेरे वतन की दुर्गत
जिस तरह होती है “हामिद” से सुखन की दुर्गत
हो मेरा काम करप्शन की हिमायत करना
मूज्रिमों और लुटेरों कि हिफाज़त करना
मेरे अल्लाह, तू मुन्सिफ न कभी मुझ को बना
चैन व आराम से, इस कौम को, अब तू ही बचा
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