साहब नौकर से: ज़रा फ्रीज़ साफ कर डालो.
नौकर: ठीक है साहब.
साहब थोड़ी देर बाद: साफ कर दिया?
नौकर: नहीं साहब, बस थोड़ी सी आइस क्रीम बची है!
Welcome
MAY PEACE BE UPON YOU
12/25/2009
12/20/2009
पहले ज़मीन बाँटी थी फिर घर भी बँट गया
पहले ज़मीन बाँटी थी फिर घर भी बँट गया
इन्सान अपने आप में कितना सिमट गया
अब क्या हुआ कि ख़ुद को मैं पहचानता नहीं
मुद्दत हुई कि रिश्ते का कुहरा भी छँट गया
हम मुन्तज़िर थे शाम से सूरज के, दोस्तो!
लेकिन वो आया सर पे तो क़द अपना घट गया
गाँवों को छोड़ कर तो चले आए शहर में
जाएँ किधर कि शहर से भी जी उचट गया
किससे पनाह मांगे कहाँ जाएँ क्या करें
फिर आफ़ताब रात का घूँघट उलट गया
सैलाब-ए-नूर में जो रहा मुझ से दूर-दूर
वो शख़्स फिर अन्धेरे में मुझसे लिपट गया
रचनाकार: शीन काफ़ निज़ाम
कविता कोश
इन्सान अपने आप में कितना सिमट गया
अब क्या हुआ कि ख़ुद को मैं पहचानता नहीं
मुद्दत हुई कि रिश्ते का कुहरा भी छँट गया
हम मुन्तज़िर थे शाम से सूरज के, दोस्तो!
लेकिन वो आया सर पे तो क़द अपना घट गया
गाँवों को छोड़ कर तो चले आए शहर में
जाएँ किधर कि शहर से भी जी उचट गया
किससे पनाह मांगे कहाँ जाएँ क्या करें
फिर आफ़ताब रात का घूँघट उलट गया
सैलाब-ए-नूर में जो रहा मुझ से दूर-दूर
वो शख़्स फिर अन्धेरे में मुझसे लिपट गया
रचनाकार: शीन काफ़ निज़ाम
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