आमद पे नए साल की सर जोड़ के बैठें
कर्तब्य हमारा है क्या? कुछ देर यह सोचें
पुर्खों ने हमारे था किया जान क्यों कुर्बान
थे भीड़ गए अँगरेज़ से हिन्दू कि मुसलमान
था ख्वाब कि भारत के मुकद्दर को बदल दें
आज़ाद कराएँ उसे, ख़ुशहाल भी कर दें
जिस देश का इक स्वप्न सजाया था उन्हों ने
ग़ुरबत थी न उस में, न हर रोज़ के दंगे
वह ऐसा था भारत जहाँ हर एक था भाई
दुःख सुख में सभी साथ थे सिख हूँ कि ईसाई
मज़हब की बिना पर न वहाँ लोग झगड़ते
सरहद के लिए, भाषा पे आपस में न लड़ते
अफ़सोस! कि आज वह भारत न यहाँ है
इस देश में छाया हुआ जंगल का समां है
मस्जिद को कहीं कोई गिराने में लगा है
बम फोड़ के लोगों को डराने में लगा है
होते यहाँ मंदिर पे, कभी चर्च पे हमले
गुजरात में वह खून की होली नहीं भूले
हैं ऊंच ब्राह्मण अब भी, नीच दलित हैं
हम सभ्य हैं, लेकिन छुआछूत बहुत है
देखो इसे भाई को ही आतंकी कहे है
कल दोस्त था जो, आज वही शत्रु बने है
आपस में छिड़ा युद्ध यह देखा नहीं जाता
हम रोकते इस को, जो कोइ साथ में आता
बस मेरा चले सब को गले जा के लगाऊँ
जो आग है नफरत की उसे जा के बुझाऊँ
आवाज़ यह हामिद की कोई काश कि सुन ले
थे छोड़ ग़लत काम, इरादों को वह बदले
इस देश की ख़ातिर वह कुछ कर के दिखाए
इस के लिए वह माल भी जां अपनी लगाये
मिल जुल के रहें लोग यही उस की हो ख्वाहिश
वह लाभ दे सब को, है करे जैसे कि बारिश
जो ऐसा हो उस को यह नया साल मुबारक
उस को यह दहा, उस के खेयालात मुबारक
हामिद साहब नए साल के लिए बहुत से ब्लॉगरों ने कविताएँ लिखि है लेकिन किसी ने भी इस नज़रिए से नहीं....
ReplyDeleteआवाज़ यह हामिद की कोई काश कि सुन ले
थे छोड़ ग़लत काम, इरादों को वह बदले
काश आपकी आवाज़ सब सुन पाएँ...
बहुत खूब...
thank you for your comment
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल। बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteआपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
हमीद जी देशभक्ति से लबरेज़ सुंदर ग़ज़ल .....!!
ReplyDeleteआगे भी संभावनाएं हैं आपसे ......!
नया साल मंगलमय हो ... 2010 हंसी और हंसी-ख़ुशी से भरा रहे !!!!
ReplyDeletethank u fr ur comment Shabnam Khan, Manoj Kumar, Harkeet Heer and Hasyafuhar. Happy new year to all of you.
ReplyDeletemere blog per aane aur navazne ka shukriya hamid sahab! achha likha hai aapne bhi.
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